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दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावशाली समूह जी-20 की बैठक अगले साल जम्मू-कश्मीर में करवाकर केंद्र सरकार पूरी दुनिया खासकर पड़ोसी मुल्क को संदेश देना चाहती है। कश्मीर मुद्दे के बावजूद जम्मू-कश्मीर में सम्मेलन कर पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ को भी संदेश देना उद्देश्य है। इतना ही नहीं भारत अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में धरातल पर आए बदलाव से भी पूरी दुनिया को अवगत कराना चाहता है। शिखर सम्मेलन को आयोजित करने के पीछे कई वजहें जम्मू-कश्मीर में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन को आयोजित करने के पीछे कई वजहें हैं। भारत समूह की अध्यक्षता करते हुए पहला ही सम्मेलन जम्मू-कश्मीर में करवाकर पूरी दुनिया को यहां की वास्तविकता से रूबरू कराना चाहता है। वह यह दिखाना चाहता है कि सभी मोर्चों पर आमूलचूल बदलाव आए हैं। जम्मू-कश्मीर में जी-20 समूह की बैठक से कई संदेश जाएंगे चाहे आतंकवाद का मोर्चा हो या अलगाववाद का, चाहे विकास का मुद्दा हो या फिर बेरोजगारी का, सभी क्षेत्र में बदलाव हुए हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. जे जगन्नाथन का कहना है कि भारत जम्मू-कश्मीर में जी-20 समूह की बैठक से कई संदेश जाएंगे। पाकिस्तान व चीन को भी झटका लगेगा एक तो इसमें शामिल दक्षिण एशिया के 20 देशों को यहां आकर करीब से सच जानने का मौका मिलेगा। साथ ही पाकिस्तान व चीन को भी झटका लगेगा। विश्लेषक प्रो. हरिओम के अनुसार यहां बैठक आयोजित करना भारत की कूटनीतिक जीत है। सभी देश पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं जम्मू-कश्मीर के हालात के साथ पाकिस्तान के खिलाफ संदेश जाएगा_