21 जून संगीत दिवस पर विशेष
संगीत दिवस पर विशेष:एक शिक्षक समाज में फैली कुरीतियों के प्रति जागरूक करने के लिए गा चुके 200 गीत
समाज में फैली कुरीतियों के प्रति लोगों को गीत के माध्यम से जागरूक करने के लिए शिक्षक द्वारा अनूठा प्रयास किया जा रहा हैं। गांव गंधेली के राउमावि में व्याख्याता अमरसिंह चौहान गांव भगवान (नोहर)

में दो दर्जन गीत लिखकर गा चुके हैं। चौहान ने 1997 में अमर गीत माला 2011 में अमर भजन माला,अमर गीत मणि, 2017 में अमर गीतिका पुस्तकें प्रकाशित की। जिनमें बच्चों के गीत थे। जिन गीतों को कई लोक कलाकारों द्वारा गायन किया गया। चौहान द्वारा गांव भगवान में कवि नोरंगलाल सहू द्वारा मसीतावाली हेड में गिरी बस पर लिखे गए गीत को गाकर संगीत शुरू किए। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय चाइया में बच्चों की डिमांड पर लोक गीतों की पांच पुस्तके ओर लिखी। स्कूलों सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मेर गीत सुनने के लिए श्रोताओं की डिमांड होने लगी ओर रूची बढ़ती गई। जब साक्षरता कार्यक्रम गांव में शुरू हुआ तब मैंने लिखकर ‘म्हाने बारखड़ी सिखा दो, तथा कैसे पढू बाबा , गीत गाए जो प्रसिद्व हुए ओर सरकार के साक्षरता मिशन को गति मिली। गांव-गांव में जल चेतना शुरू हुआ तो मैने ‘ना जगिया गप मार ’ हास्य गीत लिखकर गाया। जिसमें भविष्य में जल के स्थिति का परिदृश्य बयां करते हुए महत्व को समझाकर सदुपयोग की अपील की। जो गीत सरकार को अच्छा लगा ओर लोगों ने खूब सुनना। 2000 में मैने 2 देश भक्ति गीत लिखकर गाए। जिसमें से ‘छुप गया लाल मेरी कोख को उजाड़ ’ के आज अधिकांश स्कूलों कॉलेजों में यह गीत कार्यक्रम की प्रथम पंक्ति में छात्र-छात्राओं द्वारा गाया व कैसेट के माध्यम से सुना जाता हैं। एक युद्व में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हुए सैनिक पर गीत गाया।
2009 में ‘म्हाने सालासर ले चालो, सहित धार्मिक गीतों की प्रथम कैसेट रीलिज हुई। समाज में बेटा-बेटी का भेद भाव मिटाने व भू्रण हत्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ‘जा तू बेटी सासरे,लोक गीत लिखकर गाया। जो गीत आज समाज प्रासंगिक हैं। देश भक्ति ,गौ माता, बहन भाई ,रक्तदान,पर्यावरण, स्वागत,विदाई,साक्षरता,नशा,किसान,मजदूर,माता-पिता,नारी है महान, बाल, फैशन, झंडा ,हास्य गीत व सामाजिक धार्मिक स्कूलों में गाए जाने वाली प्रार्थनाएं सहित 200 गीत अब तक गा चुके हैं।