The safarnama news
जल संसाधन विभाग की लापरवाही के चलते आंधी से खिनानियां वितरिका नहर में आई पेड़ की टहनियां व झाडिय़ां टूटी नहर में लगाए गए मिट्टी के थैलों में फस कर पानी के बहाव को अवरूद्वता पैदा करने से टूटने का खतरा हैं। बता दें कि दो दिन पूर्व रात को आई आंधी से झाडिय़ां व टहनियां टूटकर नहर में गिर गई थी। विभाग ने आंधी आने के बाद नहर का निरीक्षण नहीं किया। ओर बरसाती मौसम में टूटी नहर की जगह पानी में अवरूद्वता से फिर नहर टूटने का खतरा बना हुआ हैं। विभाग द्वारा सुध नहीं ली जा रही। बता दें कि 19 जनवरी को जनानियां माइनर ओर 1 अप्रैल को खिनानियां वितरिका नहर टूटी थी। लेकिन जल संसाधन विभाग ने पांच माह पूर्व टूटे जनानियां माइनर व ढाई माह पूर्व टूटी खिनानियां वितरिका नहर को पक्का नहीं करवाया। किसानों का कहना हैं नहर थैलों के सहारे चलने से खतरा बना हुआ हैं। बांधी गई नहर टूटने के खतरे से विभाग पूरा पानी प्रवाह नहीं कर पा रहा। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा हैं। किसानों ने विभाग के उच्चधिकारियों से बांध गई नहर व माइनर को पक्का करवाने की मांग की हैं। इधर,गांव जसाना में संयुक्त किसान संघर्ष समिति के आंदोलन में हुए समझौते पर विभाग द्वारा कई मांगों पर पत्राचार न करने से रोष हैं। समिति अध्यक्ष रामकुमार सहारण ने बताया कि 27 जनवरी को नोहर फीडर की विभिन्न नहरों व माइनरों को नुकसान पहुंचाने वाले लाइनिंग व पट्डे में ऊगे पेड़ वन विभाग व किसानों की मौजूदगी में चिन्हित कर ढाई माह में कटवाने व तौड़ी गई लाइनिंग दुरूस्त करवाने का लिखित समझौता हुआ था। लेकिन विभाग द्वारा नुकसानदायक पेड़ कटवाने के की कागजी कार्रवाही पांच माह बाद भी शुरू नहीं की गई। एनपी 11 अध्यक्ष काशीराम ढुकिया,पंस सदस्य रमेश बेनिवाल,राजेन्द्र सिहाग,कृष्ण सहारण,सुरेन्द्र सिहाग,भूपसिंह सहारण,मोहनलाल सुथार सहित किसानों ने बताया विभाग समझौते पर कार्य नहीं कर रहा। लाइनिंग में बढ़ रहे पेड़ नहर को क्षति पहुंचा रहे हैं। वहीं सफाई के दौरान लाइनिंग तौडऩे वाले ठेकेदार के खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाही नहीं की।