सफरनामा न्यूज – जयलाल वर्मा , राजेश इंदौरा
धोरों में लवणीय पानी में स्पिरूलिना की सफल खेती का नवाचार किया है दरअसल, किसान स्पिरूलिना की खेती कम निवेश में कर परंपरागत फसलों की तुलना में अच्छी आमदनी कमा सकते ऐसा ही गांव सहारणों की ढाणी के रामुकमार वर्मा ने किया है जिन्होंने सन् 2017 में 25 किमी दूर गांव मेघाना में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पुशा नई दिल्ली से प्रशिक्षण लेकर छोटे प्लांट से स्पिरूलिना की खेती शुरू की थी अच्छी आए हुई तो 2021 में क्षेत्र बढ़ा लिया।
ऐसे की खेती शुरुआत:
किसान ने बताया कि 2017 में 1 लाख रू खर्च कर 40×25 फूट के प्लांट में 12.50×40 के 2 टैंक बनाकर लवणीय पानी से खेती शुरू की। जिससें हर साल 1 लाख रू की आमदन होने लगी। आमदन अच्छी होने से सन् 2021 में आधा बीघा भूमि ठेके पर लेकर 10 लाख रू खर्च कर 50 ×180 के प्लांट में 12.50×90 के 8 टैंक बनाकर खेती का विस्तार किया। जिससे प्रति वर्ष दो साल रू की आमदन होने लगी।
किसान ने बताया कि डेढ फूट गहरे व दो फूट चौड़े टैंक बनाएं
जिन्हें ईंट,सीमेंट व कंकरीट से पक्के किए, जिनमें लवणीय पानी भर कर बीज (मदर कल्चर) डाला गया,
और टैंक में भरे पानी को दिन भर हिलाते रहने के लिए बिजली मोटरों से कनेक्ट कर लोहे के पंखे लगाएं और
स्पिरूलिना के शुद्व उत्पादन के लिए दोनों प्लांटों के ऊपर ग्रीन नेट लगवा दिया। ताकि ऊपर से आंधी से कचरा या अन्य जीव आकर न गिरे,14 दिन बाद उत्पादन शुरू हो गया। दोनों प्लांटों से प्रति दिन 4 किलो स्पिरूलिना उत्पादन होता है जो 1500-2000 रू किलो प्रति भाव बिकता है,
स्पिरूलिना उगाने के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है 25 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह शैवाल अच्छी तरह से बढ़ता है। किसान ने बताया कि स्पिरूलिना को धूप में सूखा कर पाउडर से टेबलेट बनाकर बाजार में बेचकर अच्छी आमदन ले रहे है बताते चलें किसान की खेती से तीनों को रोजगार भी मिला है खेती के नवाचार के लिए सन् 2020 में रामकुमार वर्मा को ब्लॉक स्तरीय कृषक पुरस्कार मिल चुका है