देश की विभिन्न संस्कृति और लोक कलाओं के संगम “शिल्पग्राम उत्सव” का रंगारंग आगाज राज्यपाल कलराज मिश्र ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर उत्सव की शुरुआत की। पहले दिन पश्चिम बंगाल के श्रीखोल नृत्य से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद जम्मू कश्मीर का रॉफ, असम का बोडई शिखला, उडीसा का गोटीपुआ, गुजरात का डांग और पंजाब के भांगड़ा नृत्य ने मोहक प्रस्तुति देकर अपनी संस्कृति का परिचय दिया। विभिन्न लोक संस्कृति से रूबरू होने के साथ दर्शकों ने नृत्य का खूब आनंद उठाया।
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कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने एकसाथ एक भारत श्रेष्ठ भारत की श्रीम पर आकर्षक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति दी। राज्यपाल ने कहा कि शिल्पग्राम जीवन से जुड़ी उत्सवधर्मिता का त्योहार है। भारतीय संस्कृति जीवन से जुड़े संस्कारों से प्रत्यक्ष जुड़ी है। हमारे जीवन के संस्कारों से ही कला उपजती है।
राज्यपाल ने जयपुर के तमाशा कलाकार व रंगकर्मी दिलीप कुमार भट्ट और अहमदाबाद के संस्कृतिक कर्मी व जनजाति कला के उन्नयन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले डॉ. भगवानदास पटेल को पद्मभूषण डॉ कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस दौरान गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद गावडे, वेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद, पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र निदेशक किरण सोनी, चुनाव आयुक्त मधुकर गुप्ता और संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट मौजूद थे।
उदयपुर में साल के अंत में लगने वाला शिल्पग्राम उत्सव देशभर में फेमस है यहां देशी-विदेशी टूरिस्ट तक मेले में शिरकत करने आते हैं। खास बात ये है कि राजस्थान से लेकर गोवा, गुजरात, असम, मणिपुर, एमपी और यूपी जैसे राज्यों की ग्रामीण और लोक संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है। इन राज्यों के विभिन्न जातीय समुदायों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली और परंपराओं को यहां झोपड़ियों में दर्शाया गया है।
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