फेफाना/हनुमानगढ़
नोहर फीडर में शेयर के अनुसार 332 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर किसानों का कलेक्ट्रेट पर चल रहा आमरण अनशन रविवार को भी जारी रहा। 9 में से 4 किसानों की तबियत बिगड़ने पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया। नायब तहसीलदार भावना शर्मा ने अनशन स्थल पर पहुंचकर किसानों से वाता की।
1 घंटे चली वार्ता में जब तक समस्या का समाधान नहीं होता तब तक अनशन जारी रखने पर अड़े रहे। पुलिस प्रशासन द्वारा आमरण अनशन पर बैठे 9 में से चार किसानों किशनाराम, रमेश कुमार,भानीराम व सतपाल को एंबुलेंस से अस्पताल में भेजा। अनशन स्थल पर मौजूद किसानों ने इसका विरोध किया। किसानों ने कहा कि निर्माण के बाद नोहर फीडर में कभी पूरा पानी नहीं मिला। इस कारण कमांड भूमि भी वीरान हो गई है। फसलें तो दूर हरे चारे की बिजाई भी नहीं हो रही।

22 साल पहले तय हुआ 332 क्यूसेक पानी के इंतजार में उपजाऊ भूमि बंजर हो गई। हर किसान की एक-दो बीघा खेती हो नहरी पानी से होती है। किसानों का कर्ज बढ़ता जा रहा है। हरियाणा में बार-बार सेम ग्रस्त क्षेत्र में नोहर फीडर टूटी है, जिससे सेम ग्रस्त खेतों में नुकसान हुआ है। नतीजन हरियाणा के किसान नहर अधिकतम 150 क्यूसेक पानी प्रवाह व विभाग पर दबाव बनाएं हुए
ये है पूरी कहानी:
वर्ष 2000 में 119 हजार एकड़ भूमि सिंचित क्षेत्र घोषित कर 226 क्यूसेक पानी निर्धारित कर नोहर फीडर का निर्माण करवाया। बरवाली (हरियाणा) में 106 क्यूसेक पानी का हिस्सा था। कुल 332 क्यूसेक निर्धारित हुआ। 2013 से 119 हजार एकड़ सिंचित में से 10 प्रतिशत भूमि ही सिंचित होने फसल पक्काना मुश्किल हो गया है। नहरी उपजाऊ भूमि भी पानी के अभाव में बंजर होती जा रही है।
नोहर फिडर के किसानों की दुर्दशा पर जब सांसद राहुल कस्वां से बात की तो बताया कि पानी के लिए लगातार प्रयास कर रहें हैं। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
वहीं कमेटी गठित कर जांच करवाकर रिपोर्ट केंद्र को भिजवा दी है और राजस्थान सरकार को नहर के पुनः निर्माण का प्रस्ताव भेजने का कहा है स्टेट गवर्नमेंट तैयारी करें केंद्र सू नहर के लिए पैसे देने के लिए पहले से तैयार है।