नोहर फीडर का कमांड 1.20 लाख रकबा, 20 वर्षों में कभी नहीं मिला 332 क्यूसेक पानी, पानी के अभाव में फसल बिजाई कम होने से सींचित भूमि बिरानी में तब्दील
राजेश इंदौरा फेफाना –
सरकार के रिकॉर्ड में नोहर फीडर से लगभग 1 लाख 20 हजार एकड़ रकबा सिंचित होता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। इस क्षेत्र के लाखों किसानों की पीड़ा है कि उनकी नहर के पानी का शेयर और रेगुलेशन सिर्फ कागजों में ही तय है। हकीकत में उनको कभी न तो शेयर के अनुसार पानी मिला और न ही वरीयता क्रम के अनुसार नहरें चली रबी फसलों की बिजाई का सीजन निकल रहा है, लेकिन खेतों में हरे चारे की बुवाई तक नहीं हुई है। नोहर फीडर के किसान 5 माह से धरना लगा रहे हैं। सुनवाई नहीं हुई तो किसानों ने जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के आगे आमरण अनशन शुरू किया।
शुक्रवार को अनशन शुरू हुए 7 दिन हो गए, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। यह जरूर है कि जल संसाधन के चीफ इंजीनियर तक वार्ता के लिए पहुंचे और किसानों की पीड़ा सुनी और मांग को भी वाजिब बताया, लेकिन किसानों को पूरा पानी कब मिलेगा इसका ठोस जवाब नहीं दिया इस कारण किसान भी अनशन तोड़ने पर सहमत नहीं हुए। अनशन पर बैठे किसानों के अनुसार ऐसा कोई महीना और साल नहीं निकला जब उनका आंदोलन नहीं हुआ। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं। समझौते करते हैं, लेकिन उनकी पालना नहीं होती। ऐसे में जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक वे अनशन समाप्त नहीं करेंगे। किसानों के अनुसार नोहर फीडर का 332 क्यूसेक पानी का शेयर तय है। नहर को बने हुए 20 वर्ष हो गए। नहर जगह-जगह से डैमेज से गई है। रेगुलेशन के अनुसार उनको 35 दिन बाद एक बारी पानी मिलना चाहिए लेकिन नहर टूटने से वारियों पिट जाती है। उनके खेत अब तक सूखे पड़े हैं।
सीपी 4 हैड पर नहीं पहुंचता शेयर का पानी, यहां गेज नापने के लिए कार्मिक भी नहीं

नोहर फीडर के माध्यम से 226 क्यूसेक और बरवाली वितरिका के माध्यम से 106 क्यूसेक पानी सीपी 4 हैड (हरियाणा) से राजस्थान में पहुंचता है। नौहर फीडर का निर्माण लगभग 20 वर्ष पहले हुआ था। अब नहर की पटरियों पेड़ों से डैमेज हो गई है। इस कारण हरियाणा क्षेत्र में
अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे, निर्णय नहीं होने तक जारी रहेगा अनशन संयुक्त किसान संघर्ष समिति नोहर फिडर के अध्यक्ष रामकुमार सहारण ने कहा कि
जल संसाधन विभाग के अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं। इस बार जब तक निर्णय नहीं होगा तब तक अनशन जारी रहेगा। विभाग के अधिकारियों की उदासीनता और सरकार के ढुलमुल रवैये का शिकार किसान हो रहे हैं। इस बार हरे चारे तक की बिजाई नहीं हुई है। वहीं कई बार यह टूट जाती है। जब नहर टूटती है तो इसको बांधने में ही कई दिन लग जाते हैं। जिस अवधि में जो नहरें वरीयता में होती है उनकी बारियां पिट जाती है। फिर दुबारा उस नहर में 35 दिन बाद ही पानी रेगुलेशन के अनुसार पानी छोड़ा जाता है।
पिछले 08 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे किसान

काशीराम ढुकिया, बोहड़सिंह, रमेश घणघस, लालचंद खाती, जयसिंह, ओमप्रकाश महरिया, भानीराम ज्याणी, रमेश घणघस, सतपाल पूनिया ने बताया कि
शेयर तय होने के बाद भी हरियाणा द्वारा नहीं दिया जाता पूरा पानी, बीबीएमबी की बैठक में हर बार उठ रहा मुद्दा… नोहर फीडर के पानी का शेयर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की बैठक में तय होता है 400 क्यूसेक से लेकर 650 क्यूसेक तक शेयर तय होता है। यह पानी वाया हरियाणा प्राप्त होता है। जितना शेयर तय होता है उतना पानी आज तक हरियाणा ने नहीं दिया। किसानों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाते हैं तो वे इंटर स्टेट का मामला बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। हालांकि जल संसाधन विभाग उत्तर जोन के बीफ इंजीनियर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं और वे प्रत्येक महीने होने वाली बीबीएमबी की बैठक में यह मुद्दा उठाते हैं।
वार्ता कर सभी विकल्प बता चुके, शेयर के अनुसार पानी लेने के प्रयास जारी जल संसाधन उत्तर हनुमानगढ़ के चीफ इंजीनियर

अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने बताया कि
अनशन पर बैठे किसानों से वार्ता कर सभी विकल्प बता चुके हैं। किसान अब तक किसी भी बात पर सहमत नहीं हुए। शेयर के अनुसार पानी लेने के लिए वे निरंतर प्रयास कर रहे हैं। बीबीएमबी की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाते हैं।