✒️ राजेश इंदौरा, जयलाल वर्मा
आज चक 7 जेएसएन में नोहर फीडर में चार सीपी हेड से निर्धारित 132 क्यूसके पानी लेने की मांग को लेकर 134 दिनों से धरने पर बैठे किसान सहित जुड़े 35 गांवों के 1000-1500 किसान नोहर एसडीएम कार्यलय का घेराव कर गिरफ्तारियां देंगे।
बता दें कि इसी मांग को लेकर लगातार किसान आंदोलन हो रहे हैं। लेकिन सरकारें गंभीर न होने के कारण नोहर फीडर का निर्धारण हुआ 332 क्यूसेक पानी किसानों को 20 साल से नहीं मिल रहा। किसान 200 क्यूसेक पानी पर संतोष कर हैं वो भी नहीं दिया जा रहा। बता दें कि 2000 में 39 + 80 हजार मिलाकर 119 हजार एकड़ भूमि सिंचित क्षेत्र घोषित कर 226 क्यूसेक पानी निर्धारित कर नोहर फीडर नहर का निर्माण करवाया गया। पहले बरवाली (हरियाणा) में 106 क्यूसेक पानी का हिस्सा था। कुल 332 क्यूसेक पानी नोहर फीडर का तय हुआ। 2002 में भाकिसं द्वारा सिंचाई विभाग के आगे 45 दिन लगाए गए धरनें के बाद हरियाणा ने नोहर फीडर में पानी छोड़ा ओर दो साल तक ठीक चला। 2005 में पानी के हालात वर्तमान जैसे होने पर 40 दिन तक नोहर में चले किसान आंदोलन में 37 किसानों को जेल जाना पड़ा। उसके बाद 2013 तक 332 की जगह 200 क्यूसेक पानी आने से खेत ठीक सिंचित होते रहे। बाद से अनियमित मिलने से 119 हजार एकड़ सिंचित में से 10 प्रतिशत भूमि ही सिंचित होने लगी।
10 माह पूर्व आंदोलन का समझौता ठंडे बस्तें में:
गांव जसाना में 24 दिसबंर 2021 से 10 दिन 3 किसान पानी की टंकी पर रहे ओर 35 दिन धरना चला था। 35 वें दिन सिंचाई विभाग व किसानों मध्य हरियाणा क्षेत्र पानी चोरी रोकने के लिए दो राज्यों की संयुक्त टीम गठित करने,चार सीपी हेड पर चल रहा अवैध मोघा बरवाली नहर में शिफ्ट करने,मल्लेका माइनर का सीधा साइफन बरवाली लगाने की तीनों मांगें हरियाणा राज्य से जुड़ी हैं इसलिए विभागीय चीफ से सरकार के मार्फत हरियाणा सरकार को पत्र भिजवाने, हरियाणा क्षेत्र में नोहर की मरम्त करवाने का वहां के विभाग से एस्टीमेंट बनवाने,चार सीपी हेड पर अप्रैल में नए रेगुलेशन ठेके में अनुबंध पर कर्मचारी रखने,नहर को क्षति पहुंचा रहे पेड़ों को सिंचाई विभाग व वन विभाग किसानों की मौजूदगी में चिन्हित कर कटवाने, 3 मुरब्बा तक खाला पुन:निर्माण मनरेगा में करवाने की शीघ्र एनओसी जारी करने व 200 + क्यूसेक पानी दिलाने की वार्ता हुई थी। वहीं विभाग के अधिकारियों ने नहराना हेड पर पानी की उपलब्धता में से अनुपात में पानी दिलाना व नहरों में पानी आने से पूर्व निरीक्षण ओर रेगुलेशन सार्वजनिक कर समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाना सुनिश्चित किया था लेकिन मार्च के बाद पानी 200 की बजाए 80-100 क्यूसेक रहने से किसानों की बारियां लगातार पिट रही हैं।
केंद्र की जांच कमेटी की देरी में रिपोर्ट:
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री द्वारा दोनों राज्यों की टीम गठित करवाकर अगस्त में हरियाणा से पानी की अनुपलब्धता के कारणें की जांच करवाई थी। लेकिन तीन माह बाद कमेटी ने केंद्र को रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने के कारण पानी की समस्या हल होती नजर नहीं आई। किसानों को रिपोर्ट का इंतजार हैं। रिपोर्ट को लेकर सांसद राहुल कस्वां लगातार केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के संपर्क में हैं।
विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुग रहे किसान:
संयुक्त किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामकुमार सहारण बताया कि 27 जनवरी को हुए समझौते में तय एक भी बात पर अमल नहीं किया। उसके बाद एईएन मुकेश सिहाग के साथ किसानों के एक शिष्टमंडल ने नहराना हेड तक निरीक्षण कर पानी चोरी,घारे,खतरे के प्वाइंट चिन्हित कर रिपोर्ट बनाई थी। लेकिन विभाग द्वारा रिपोर्ट आगे न भेजने के कारण अति आवश्क्ता के स्थान पर मरम्त नहीं हुई ओर तीन माह में हरियाणा में नोहर फीडर दो बाद टूट गई।
अनुपात में नहीं मिलता पानी
एपनी 11 के अध्यक्ष काशीराम ढुकिया ने अनुपात में पानी दिलाना तय हुआ लेकिन बांध में जल स्तर ऊंचा होने के कारण 1 से 20 सितबंर तक 100 क्यू.पानी अतिरिक्त मिला। जिसमें से नोहर फीडर में अनुपात में 30 क्यू.पानी दिलाना था। विभागीय उदासीनता के चलते नहीं मिल सका। अन्य मांगें भी ठंडे बस्ते में डाल दी।