जयपुर.
सूचना के अधिकार को लागू हुए 17 साल हो गए है पर स्थिति अभी भी लचर हाल में है सूचना का अधिकार 2005 में पास हुआ था पर इसके क्रियान्वयन की हालत देखें तो बहुत ही पस्त है। सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन के तीनों स्तर पर जिसमें सरकार का ढांचा और उसके अंदर की गई अपील का ढांचा और उसके बाद सूचना आयोग, इन तीनों ही स्तर पर सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन में स्थिति अभी अच्छी नही है ।
जहां हम आवेदनों के निस्तारण की स्थिति देखें तो लोक सूचना अधिकारी के स्तर पर आधे से अधिक मामलों में समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, वही अपीलों की स्थिति पर देखें तो प्रथम अपील में विभाग के अंतर्गत ही अपील की सुनवाई तय समय में पूरी नहीं हो रही है, दूसरी तरफ सूचना आयोग की स्थिति देखें तो वह भी अधूरी दिखती है जहां वर्तमान में 12,000 से अधिक अपीले लंबित हैं व 100 से अधिक शिकायतें लंबित है। और लाखों रुपए की रिकवरी पेंडिंग है।
यह रिकवरी सूचना के अधिकार के तहत तय समय में सूचना न देने के कारण लोक सूचना अधिकारियों पर लगाई गई थी, जिसका भुगतान उन्होंने अभी तक नहीं किया किया है। सूचना का अधिकार मंच, राजस्थान ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि सूचना के अधिकार के भविष्य के लिए राज्य सरकार व सूचना आयोग को और अधिक मुस्तैदी के साथ इसके क्रियान्वयन के कार्य को संपन्न करना होगा तभी सूचना ‘के अधिकार कानून की भावना के अनुरूप आमजन को सूचनाएं प्राप्त हो सकेगी व लोकतंत्र में असली पारदर्शिता को स्थापित किया जा सकेगा।