राजेश इंदौरा / जयलाल वर्मा
हरियाणा से नोहर फीडर में 16 दिन बाद 100 क्यूसेक बढ़ा कर 200 क्यूसेक पानी किया गया है। विभाग द्वारा 200 क्यूसेक की डिमांड भेजी जाती हैं। लेकिन हरियाणा द्वारा लगातार 4 से 20 सितंबर तक मात्र 100 क्यूसेक पानी ही दिया। जिस कारण खिनानियां,जसाना ,एन एच आर वितरिका और जनानियां,मलवानी,कर्मशाना,ढंढेला,देईदास,भगवान,किकराली,बिरकाली माइनर के किसानों की लगातार दो सप्ताह से किसानों की पानी की बारियां पिट गई। उल्लेखनीय है कि पिछे बांधों में पानी पूरा होने के कारण हरियाणा वाया राजस्थान नोहर फीडर, सिधमुख सहित के लिए 4 से 20 सितंबर तक 100 क्यूसेक पानी अतिरिक्त मिला था। जिसमें नोहर फीडर का अनुपात में 35 क्यूसेक पानी का हिस्सा बनता है। लेकिन हरियाणा ने हेकड़ी करते हुए अतिरिक्त में से हिस्से का 35 क्यूसेक देने की बजाए विभाग की डिमांड पर मिलने वाले पानी की 50 प्रतिशत कटौती लगातार 16 दिन कर दी। किसानों ने बताया कि खरीफ की फसलें नहर के पानी के अभाव में नष्ट हो गई। नरमा की फसल में अंतिम पानी न लगने से पौधा सूख रहा है।
एक्सईएन बुधराम ने बताया कि बुधवार को 201 क्यूसेक पानी मिला हैं रेगुलेशन यथावत रहेगा। पिछे बारियां पिटने के कारण एडीएम के हस्तक्षेप में रेगुलेशन परिवर्तन के लिए एसी द्वारा वार्ता की जाएगी। पूर्व प्रधान अमर सिंह पूनियां ने बताया कि दुर्भाग्य की बात है कि किसानों का धरना चलने के बावजूद भी पूरा पानी नहीं मिल रहा। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामकुमार सहारण ने बताया कि 1 से 20 सितंबर तक दिए गए अतिरिक्त 100 क्यूं.पानी का नोहर फीडर के किसानों को लाभ नहीं हुआ।

हरियाणा से नोहर फीडर में 200 क्यूसेक पानी की मांग पर जबाव मिला कि पिछे नहर में झाला होने के कारण पूरा पानी नहीं आ रहा। वहीं, अन्य नहरों में पूरा पानी चल रहा है। बता दें कि विभाग द्वारा 200 क्यूं.पानी की डिमांड भेजी गई। लेकिन 4 से 20 सितंबर तक नोहर फीडर में 200 की बजाए 100 क्यूं पानी चलाने से खिनानियां -जसाना ,एन एच आर वितरिका और जनानियां,मलवानी,कर्मशाना,ढंढेला,देईदास,भगवान,किकराली,बिरकाली माइनर के किसानों की लगातार दो सप्ताह से किसानों की पानी की बारियां पिट रहीं हैं। किसानों ने बताया कि खरीफ की फसलें नहर के पानी के अभाव में नष्ट हो गई। नरमा की फसल में अंतिम पानी न लगने से पौधा सूख रहा है। एसई मूलचंद जाट ने बताया कि हरियाणा नोहर फीडर में पानी मांगने की बात पर ध्यान नहीं दें रहा बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी पूरा पानी नहीं दिया जा रहा।