• पहले टी20 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200 + बनाने के बाद भी हार गई टीम इंडिया
एशिया कप में जब पंत रन आउट नहीं कर सके, तो धोनी की अनुपस्थिति महसूस हुई
चंद्रेश नारायणन मुंबई
महेंद्र सिंह धोनी के 2020 में सफेद गेंद की क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में एक तरह का खालीपन आ गया है। टीम इससे कभी भी उबर नहीं पाई है और कई बार जब टीम मौके चूक जाती है तो यह नजर आ जाता है। हाल ही में खत्म हुए एशिया कप के दौरान रिषभ पंत को स्टंप्स पर गेंद मारकर आउट करने का मौका मिला था, लेकिन वे श्रीलंका के खिलाफ यह मौका चूक गए। नतीजा भारतीय टीम बाहर हो गई। उस समय तुरंत ही क्रिकेट जगत के विशेषज्ञों द्वारा पंत की तुलना धोनी से की जाने लगी कि अगर उस समय धोनी मौजूद होते तो नहीं चूकते। पिछले तीन साल में धोनी की अनुपस्थिति को टीम ने कई बार महसूस किया है। टेस्ट क्रिकेट में उनकी जगह जल्दी भर गई, लेकिन सफेद गेंद की क्रिकेट में अभी भी उनकी जरूरत नजर आने लगती है। ऐसे ही पांच वाकये, जब सीमित ओवर्स को क्रिकेट मैं धोनी का गेम प्लान नजर आया…..
बैटिंग में भी लीडरशिप दिखाते थे धोनी
धोनी ने 72 टी20 में कप्तानी की और 41 जीते। इसमें 18 मैच टॉस जीतकर और 23 टॉस हारकर जीते। धोनी ने सबसे ज्यादा 13 मैच, तब जीते जब उन्हें टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। . धोनी की कप्तानी में जीते 41 में से 22 मैचों में धोनी नाबाद लौटे। विराट अपनी कप्तानी में जीते 30 में से 11 मैच और रोहित अपनी कप्तानी में जीते 31 मैचों में सिर्फ 3 मैच में नाबाद रहे।
1. 2007 का टी20 वर्ल्ड कप फाइनल
पाकिस्तान 158 के लक्ष्य का पीछा कर रहा था। मिस्बाह क्रीज पर थे और एक विकेट बाकी था। पाक को आखिरी ओवर में 13 रन चाहिए थे। अनुभवी हरभजन का एक ओवर बाकी था, लेकिन धोनी ने रिस्क लेते हुए जोगिंदर शर्मा को गेंद दी। उन्होंने ऐसा इसलिए भी किया था क्योंकि मिस्बाह ने हरभजन के तीसरे ओवर में तीन छक्के जड़े थे। धोनी की इस स्ट्रेटजी ने काम किया। जोगिंदर की पहली गेंद वाइड और दूसरी पर छक्का पड़ा, लेकिन उन्होंने वापसी करते हुए तीसरी गेंद पर मिस्बाह का विकेट लेकर पाक की पारी खत्म कर दी। धोनी के जादू ने भारत को पहला टी20 वर्ल्ड चैम्पियन बनाया।
2. 2011 का वर्ल्ड कप फाइनल
युवराज के ऑलराउंड प्रदर्शन, जहीर की सटीक गेंदबाजी, सचिन की निरंतरता से भारत ने जीत हासिल की, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में भारत ने टॉप ऑर्डर सस्ते में गंवा दिया था। गंभीर और कोहली ने 83 रन की साझेदारी की। लेकिन कोहली के आउट होने के बाद धीनी खुद क्रीज पर उतरे। उन्होंने इन फॉर्म युवराज को नहीं भेजा। यह मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ क्योंकि धोनी ने गंभीर के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन की साझेदारी कर टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया। उन्होंने 79 गेंद पर 91 रन की नाबाद पारी खेली।
3. 2013 की चैम्पियंस ट्रॉफी
पहले तय था कि सचिन के वनडे से संन्यास लेने के बाद गंभीर सहवाग ओपनिंग करेंगे। लेकिन इस टूर्नामेंट के दौरान सब बदल गया। भारत रोहित और धवन की नई ओपनिंग जोड़ी के साथ टूर्नामेंट में उतरा। उनकी यह योजना सफल रहो क्योंकि रोहित-शिखर की जोड़ी अगले एक दशक तक सबसे सफल ओपनिंग जोड़ी रही। धोनी रोहित को ओपनर के रूप में स्थापित किया। अब वे टेस्ट में भी ओपनिंग करते हैं और कप्तान हैं।
4. 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल
बर्मिंघम में बारिश से प्रभावित फाइनल में भारत ने 129 रन बनाए। इंग्लैंड ने 8.4 ओवर में 46 रन पर 4 विकेट गंवा दिए थे। मोर्गन बोपारा ने 5वें विकेट के लिए 64 रन जोड़कर टीम को उबारा। धोनी ने पारी का 18वां ओवर फेंकने के लिए इशांत को गेंद दी। यह इशांत का चौथा ओवर था और वे अपने तीन ओवर में काफी महंगे रहे थे। इशांत ने इस ओवर में मोर्गन व बोपारा दोनों को आउट कर धोनी को सही साबित कर दिया।
5. 2016 टी20 वर्ल्ड कप
बांग्लादेश को जीत के लिए आखिरी ओवर में 11 रन चाहिए थे। धोनी ने बुवा हार्दिक को गेंद थमाई हार्दिक की गेंद पर चौके आए। बांग्लादेश को आखिरी गेंद पर सिर्फ 2 रन चाहिए थे। उन्होंने श्री में मदद करने के लिए एक ग्लब्ज उतार दिया। बांग्लादेश के शुवागता ने बाउंसर मिस किया और रन लेने के लिए दौड़ पड़े धोनी के पास गेंद गई और उन्होंने तेजी से दौड़ लगाकर बेल्स गिराकर मुस्ताफिजुर को रनआउट कर दिया।