पढ़ाई के साथ छात्र राजनीति में भी फेल •
इस बार छात्रसंघ चुनाव पहले और परीक्षा परिणाम बाद में घोषित किया
हनुमानगढ़ के 1 व नोहर के 3 कॉलेजों में 7 छात्र संघ पदाधिकारी परीक्षा में फेल, निर्वाचन हुआ रद्द
नोहर-
हाल ही में हुए छात्रसंघ चुनावों में जिन पदाधिकारियों ने जीत का स्वाद चखा था उनमें से कुछ परीक्षा में फेल हो चुके हैं। बता दें कि हाल ही में यूनिवर्सिटी ने सेकंड इयर का रिजल्ट जारी किया है, जिसकी वजह से 4 कॉलेजों में निर्वाचित 7 पदाधिकारियों का निर्वाचन रद्द हो गया है। कॉलेज आयुक्तालय की गाइडलाइन के अनुसार अगर कोई विद्यार्थी परीक्षा परिणाम में फेल हो जाता है तो उसकी सदस्यता स्वतः ही निरस्त हो जाएगी। खास बात यह है कि छात्रसंघ चुनावों में पहली बार ऐसी स्थिति देखने पड़ रही है। सरकार ने छात्रसंघ चुनावों को लेकर जल्दबाजी दिखाते हुए लिंगदोह कमेटी के नियमों में संशोधन कर चुनाव करवाया था। बता दें कि सीबीएसई 12वीं के रिजल्ट लेट जारी होने के चलते कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया एक महीने से अधिक लेट हो गई। इसके बाद अचानक प्रवेश प्रक्रिया के बीच में ही सरकार ने छात्रसंघ चुनाव करवाने की निर्णय ले लिया। यूजी और पीजी की प्रवेश प्रक्रिया पूरी ही नहीं हुई थी।
नोहर डिग्री और एमडी कॉलेज के अध्यक्ष फेल

लिंगदोह समिति के इस निर्णय नोहर क्षेत्र के कई महाविद्यालय के पदाधिकारी प्रभावित होंगे। नोहर डिग्री महाविद्यालय में अध्यक्ष पद पर निर्वाचित मुकेश कुमार, उपाध्यक्ष पद निर्वाचित सुनील कुमार बीए द्वितीय के परीक्षा परिणाम में असफल हो गए हैं। इसके अलावा इसी महाविद्यालय में संयुक्त सचिव पद पर चुने गए असरफ भी बीए प्रथम वर्ष में असफल हो गए। फेफाना के एमडी कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पर जीते आशीष गोदारा भी परीक्षा में अनुतीर्ण हो गए। एनडीबी राजकीय महाविद्यालय में उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुई हसनप्रीत कौर भी बीए प्रथम वर्ष में एक पेपर ड्यू रह गई।
आगे क्या: चुनाव दुबारा होने के रास्ते बंद, पुनर्मूल्यांकन की कोई गाइडलाइन नहीं
इस सत्र में लागू हुआ ये नियम कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय द्वारा 17 अगस्त को छात्रसंघ चुनावों के लिए गाइडलाइन जारी की गई थी। इसमें 19 नंबर पॉइंट में स्पष्ट लिखा गया है कि कॉलेज में नियमित अध्ययनरत विद्यार्थी ही चुनाव लड़ सकेंगे तथा जिन्होंने कॉलेज में नियमित विद्यार्थी के रूप में सत्र 2022-23 में प्रवेश लिया हो तथा किन्हीं कारणों से विद्यार्थी इस सत्र में नियमित विद्यार्थी नहीं रह पाता है तो उसकी छात्रसंघ की पदाधिकारी के रूप में सदस्यता स्वतः ही निरस्त हो जाएगी। किन्हीं कारणों से विद्यार्थी संबंधित यूनिवर्सिटी के परीक्षा परिणाम में फेल हो जाता है तो भी उसकी सदस्यता स्वतः ही निरस्त हो जाएगी। यह प्रावधान सिर्फ इसी सत्र के लिए एक बार के लिए लागू किया जाएगा।
विद्यार्थी के अनुसार वे पुनर्मूल्यांकन की राह चुनेंगे। लेकिन, बड़ी बात यह है कि लिंगदोह कमेटी में पुनर्मूल्यांकन को लेकर कोई गाइडलाइन ही नहीं दी गई है। चुनाव संपन्न हो जाने के दो माह के भीतर किसी बड़े पदाधिकारी का पद रिक्त हो जाता है तो या तो दोबारा चुनाव करवाए जा सकते हैं या फिर उपाध्यक्ष को अध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया जा सकता है। इसी प्रकार संयुक्त सचिव को सचिव के पद पर रहकर कार्य देखना होगा। अगर विद्यार्थी दोबारा चुनाव करवाने की मांग भी करते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि गाइडलाइन के अनुसार चुनाव शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 6 से 8 सप्ताह के अंदर ही होना चाहिए।