RAJASTHAN: दिव्या ने सरकार के रहते कांग्रेस हार का जिक्र किया:लिखा-1998 के बाद हम कभी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाए
छात्रसंघ चुनावों में एनएसयूआई की हार पर कांग्रेस में उठा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों के बीच सोशल मीडिया पर जंग चल रही है। इसमें अब कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा की एंट्री हो गई है। दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर सवाल उठाने के साथ सरकार में रहते कांग्रेस की करारी हार का जिक्र कर सियासी हलकों में चर्चाएं छेड़ दी है।
दिव्या ने एनएसयूआई की करारी हार पर विवाद के बीच सीएम अशोक गहलोत की सरकार रहते हुए कांग्रेस की बुरी तरह हार का जिक्र भी कर दिया।
दरअसल, एक ट्वीट में 2013 में कांग्रेस हार पर सीएम अशोक गहलोत के जोधपुर में कांग्रेस की 21 सीटों की बीजेपी की 33 सीटों से तुलना का जिक्र था। उस पर जवाब देते हुए दिव्या ने लिखा- लेकिन हम 1998 के बाद कभी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाए। एनएसयूआई की हार पर चर्चा के बीच ही यह जिक्र आने से अब नई बहस शुरू हो गई है।
1998 के बाद कांग्रेस ने गठबंधन सरकारें ही चलाई
1998 में राजस्थान में 156 सीट के प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी, अशोक गहलोत पहली बार सीएम बने। 2003 में कांग्रेस चुनावों में बुरी तरह हारी और बीजेपी ने पहली बार 120 सीटें जीतकर अपने बूते सरकार बनाई, वसुंधरा राजे पहली बार सीएम बनीं। 2008 के चुनावों में बीजेपी हारी और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन उसका आंकड़ा 96 सीट पर अटक गया, गहलोत दूसरी बार सीएम बने। निर्दलीयों और बसपा के सहयोग से सरकार बनी। 2013 के चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस को बुरी तरह हराया, कांग्रेस की इतिहास की सबसे बड़ी हार हुई और केवल 21 सीटें आई। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हारी लेकिन कांग्रेस की खुद की 99 सीट ही आई,बाद में रामगढ़ सीट जीतने के बाद आंकड़ा 100 पहुंचा, फिर बसपा के छह विधायकों का विलय करवायाऔर 13 निर्दलीयों का सहयोग लेकर सरकार बनी।
दिव्या का एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष पर निशाना, लिखा- 2014 में NSUI के विभिषण और जयचंद कौन थे
दिव्या मदेरणा ने अभिषेक चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया-शून्य पर रन आउट होने को शानदार प्रदर्शन कहने वाले यह पहले और अंतिम व्यक्ति होंगे । वैसे राजस्थान विश्वविद्यालय में साल 2014 में NSUI के विभिषण और जयचंद कौन थे ? इसके बाद आगे लिखा- NSUI के शून्य होने पर अब चर्चाओ का बाज़ार उफान पर है और हो भी क्यों नहीं। संगठन को भी दोष नहीं दे सकते हैं क्योंकि यह जब अध्यक्ष बने थे तब जबरदस्त आपाधापी चल रही थी ,स्वयं सरकार संकट में थी , NSUI का अध्यक्ष कौन बने या ना बने उस समय किसी को भी इसमें लेश मात्र रुचि नहीं थी । चाहे वह राजस्थान विश्वविद्यालय 2014 में NSUI के बाग़ी हो या फिर कोई भी।
एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष के बयान से उठा विवाद
दिव्या मदेरणा ने भी अभिषेक चौधरी के उसी बयान पर निशाना साधा जिस बयान पर गहलोत पायलट समर्थक सोशल मीडिया पर एक दूसरे से भिड़ रहे हैं। अभिषेक चौधरी ने कहा था कि एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं इन चुनावों के परिणामों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। हम फिर खड़े होंगे, फिर लड़ेंगे। लेकिन एक बात केवल यह कहना चाहूंगा कि भीतरघात का कोई समाधान नहीं हैं, विभिषण व जयचंदो का कोई समाधान नहीं हैं। अब इन जयचंदों को युवा माफ़ नहीं करेगा। दिव्या मदेरणा ने इसी बयान पर अभिषेक चौधरी को घेरा है।
दिव्या ने एनएसयूआई की हार पर भी सवाल उठाए थे
दिव्या मदरेणा ने एनएसयूआई की बुरी तरह हार पर भी सवाल उठाते हुए खराब टिकट वितरण और गुटबाजी को इसका कारण बताया था। दिव्या ने कहा था कि एनएसयूआई की हार का मुख्य कारण योग्य उम्मीदवारों को टिकट नहीं देना है। सही उम्मीदवार को टिकट दिया तो टिकट देने में बहुत विलम्ब किया, जिससे समीकरण बिगड़ गए। चुनाव जीतने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए। गुटबाज़ी ख़त्म कर सामंजस्य नहीं बना पाना हार का कारण रहा है।
जोधपुर में बेनीवाल समर्थकों को एनएसयूआई टिकट देने पर जताई थी नाराजगी
जोधपुर में एनएसयूआई के टिकट वितरण पर दिव्या मदेरणा ने खुलकर नाराजगी जताई थी। दिव्या मदेरणा ने नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा था कि बावड़ी में एक कट्टर आरएलपी समर्थक को एनएसयूआई का टिकट दिया गया, जिससे एनएसयूआई के कार्यकर्ता मायूस हैं। जबकि आरएलपी पहले ही जेएनवीयू के एबीवीपी उम्मीदवार को खुला समर्थन दे चुकी है। जोधपुर में एनएसयूआई किसी मज़ाक़ के मूड में है क्या, यह मेरी समझ से परे है।
कांग्रेस की दिल्ली रैली से पहले एनएसयूआई की हार पर विवाद लगातार तेज
छात्रसंघ चुनावों में एनएसयूआई की हार का विवाद ऐसे समय उठा है जब एक दिन बाद ही दिल्ली में कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली है। रैली के लिए तैयारियों के बीच कांग्रेस में छात्र संगठन की हार पर विवाद जारी है। सीएम अशोक गहलोत खेमे से जुड़े एनएसयूआई अध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर लगातार विरोधी निशाना साध रहे हैं। यह विवाद आगे भी जारी रहने की संभावना बन गई है, क्योंकि इसके जरिए अब खेमेबंदी की सियासत के दांवपेच चलेंगे।.