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Monday, March 27, 2023

डिग्गी बनाने के लिए 10 हजार किसानों के आवेदन, सिर्फ 1150 को ही मिलेगा अनुदान

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कृषि प्रधान हनुमानगढ़ जिले में सरकार डिग्गी निर्माण का लक्ष्य कम कर रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र 1150 डिग्गियों का लक्ष्य दिया गया है। इसकी भी सहायक निदेशक कार्यालय स्तर पर आवेदनों की संख्या के अनुसार संख्या निर्धारित की गई है। जिले में डिग्गी बनाने के लिए लगभग 10 हजार से ज्यादा किसानों ने आवेदन कर रखे हैं। गत वर्ष भी 1150 डिग्गियों का लक्ष्य मिला था। आवेदकों की तुलना में लक्ष्य कम मिलने के कारण जिले में हर साल पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। किसानों का चयन भी लॉटरी के माध्यम से किया जाता है। इस कारण कई काश्तकार ऐसे हैं जिन्होंने 4 वर्ष पहले आवेदन किया था, लेकिन अब तक उनका चयन नहीं हआ है। पीड़ित काश्तकार कभी कृषि विभाग तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कई काश्तकारों ने आवेदन करते ही अनुदान की उम्मीद में अपने खेतों में डिग्गियों का निर्माण करवा लिया, लेकिन लॉटरी में उनका नाम नहीं आया। ऐसे में उनको अनुदान नहीं मिलेगा। अब काश्तकार अधिकारियों से अनुदान की गुहार लगा रहे हैं। अधिकारी सरकार की गाइडलाइन का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की राहत नहीं देने की बात कह रहे हैं। जानकारी के अनुसार, मार्च 2018 तक स्वीकृत डिग्गियों को अनुदान राशि का भुगतान भी 2019-20 और 2020-21 में दिए गए टार्गेट से किया गया। यानी दो वर्षों में नई डिग्गी एक भी नहीं बनी थी। इस कारण आवेदकों की संख्या और बढ़ गई। वर्ष 2021-22 में जिले में मात्र 1150 डिग्गियों का टारगेट दिया गया।

 

डिग्गी बनाने के ये तीन फायदे, इसलिए बढ़ रहा रुझान
1. डिग्गियों में बरसात का पानी भी एकत्रित हो सकता है। साथ ही बरसात के समय सिंचाई पानी की बारी का पानी डिग्गी में स्टोर किया जा सकता है।
2. डिग्गियों में भंडार किए गए पानी से किसान खेतों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई कर सकते हैं। समय पर सिंचाई होने से उत्पादन भी ज्यादा होता है।
3. डिग्गियों में स्टोर किए गए पानी को फव्वारा पद्धति से उपयोग में लेने से फसलों को फायदा होता है। साथ ही पानी की भी बचत होती है।
लॉटरी में वंचित रहने वाले आवेदकों को अगले साल ही राहत मिलने की उम्मीद
डिग्गी निर्माण के प्रति जिले के किसानों का पिछले कई वर्षों से रुझान बढ़ा है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा डिग्गी निर्माण करने वाले किसानों को अधिकतम तीन लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाता है। 8 लाख लीटर की डिग्गी बनाने पर यह अनुदान देय है। लघु व सीमांत वर्ग के काश्तकारों को 3 लाख 40 हजार रुपए अनुदान देय है। पानी की बचत के लिए भी काश्तकार खेतों में डिग्गी बना रहे हैं। इसी कारण आवेदकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। लक्ष्य कम मिलने के कारण अधिकांश किसानों को हताशा ही हाथ लग रही है। लॉटरी में नाम नहीं आने वाले हजारों काश्तकारों को अगले साल से पहले कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
लक्ष्य कम मिलने के कारण 2 वर्षों से लॉटरी प्रक्रिया से कर रहे चयन
जिले में डिग्गी निर्माण के लिए आवेदकों की संख्या अधिक होने के कारण 20 वर्षों में पहली बार गत वर्ष लॉटरी निकाली गई थी। इस बार भी लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को डिग्गियों का आबंटन किया गया है। जानकारी के अनुसार इस बार जिले में कुल 1155 डिग्गियों का लक्ष्य तय किया गया। इसमें सहायक निदेशक कार्यालय हनुमानगढ़ क्षेत्र के लिए 650, सहायक निदेशक कार्यालय भादरा में 70 और सहायक निदेशक कार्यालय नोहर में 270 डिग्गियों का टारगेट दिया गया है। आवेदन अधिक होने के कारण कृषि विभाग के क्लस्टर वाइज आवेदनों की संख्या के अनुसार टार्गेट दिया गया है। जिले में दिए गए लक्ष्य की बात करें तो सामान्य वर्ग के लिए 950, एससी वर्ग के लिए 200 और एसटी वर्ग के लिए 5 डिग्गी आरक्षित है। अगर कोई किसान पात्र नहीं है तो उसकी निरस्त कर प्रतीक्षा सूची में शामिल किसान को शामिल किया जाएगा।
1155 डिग्गियों का लक्ष्य, लॉटरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद वित्तीय स्वीकृति जारी
 जिले में इस बार 1155 डिग्गियों का लक्ष्य मिला है। आवेदकों की संख्या के अनुसार सहायक निदेशक कार्यालय स्तर पर टारगेट तय किया गया है। डिग्गी निर्माण पर लघु व सीमांत किसानों को 3.40 लाख और अन्य किसानों को अधिकतम 3 लाख रुपए अनुदान दिया जा रहा है। -बीआर बाकोलिया, सहायक निदेशक, कृषि (विस्तार), हनुमानगढ़
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