9.1 C
London
Wednesday, March 29, 2023

पाकिस्तानी वायरस से 2100 गौवंश की मौत; जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर सहित 10 जिलों में यह संक्रामक बीमारी कहर बरपा रही है।

- Advertisement -
- Advertisement -

पाकिस्तान कनेक्शन ?
पाकिस्तान के पंजाब, सिन्ध और बहावलनगर के रास्ते होकर इसकी देश में एंट्री मानी जा रही है। बहुत से पक्षी जानवरों की पीठ पर बैठते और उनकी प्राकृतिक तौर पर सफाई करते हैं। कुछ कीड़े खाते हैं। ऐसे पक्षी बॉर्डर पार भी करते हैं। मक्खियां और मच्छरों को भी सरहदें नहीं रोक पाती हैं।

पाकिस्तान के रास्ते भारत आई खतरनाक और वायरल बीमारी ‘लंपी’ से राजस्थान में गौवंश की मौतों का आंकड़ा 2100 हो गया है। जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर सहित 10 जिलों में यह संक्रामक बीमारी कहर बरपा रही है। 40 हजार से ज्यादा गौवंश इसकी चपेट में आ चुके हैं। 90 प्रतिशत गायें इस बीमारी का शिकार होकर दम तोड़ रही हैं। बैल, सांड़, भैसों में भी यह बीमारी फैल रही है। केवल लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जा रहा है। भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर बकरियों को होने वाली ‘माता’ से बचाव वाली ‘गोट पॉक्स’ वैक्सीन गौवंश को लगाने की सलाह दी है। केंद्र से साइंटिस्ट्स और पशुओं के डॉक्टर्स की टीम सोमवार को राजस्थान पहुंची है। जोधपुर और नागौर का दौरा कर हालात का जायजा लिया गया है। राजस्थान सरकार के एडिशनल डायरेक्टर, हेल्थ डॉ. एनएम सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि टीम गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जालोर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सिरोही भी जाएगी। डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद और गुजरा बॉर्डर से सटे जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। वहां निगरानी रखी जा रही है।

लंपी डिजीज प्रभावित गाय, जिसके शरीर पर गांठें उभरने लगती हैं

राजस्थान के साथ ही गुजरात में भी गाय-भैसों में ‘लंपी’ डिजीज तेजी से फैल रही है। गुजरात के 14 से ज्यादा जिलों में बीमारी फैलने की जानकारी है। गुजरात भी केंद्रीय टीम भेजी गई है। राजस्थान के मेडिकल एक्सपर्ट्स को अंदेशा है कि पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बहावलनगर के रास्ते होकर इसकी देश में फिर से एंट्री हुई है। इस बीमारी का कोई इफेक्टिव इलाज भी मौजूद नहीं है। यह सबसे बड़ी चिन्ता की बात है।

भारत सरकार से मांगा फंड
डॉ एनएम सिंह ने बताया आज राजस्थान आई सेंट्रल टीम ने जोधपुर और नागौर का दौरा किया है। इंडियन वेटेरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI) इज्जतनगर बरेली से साइंटिस्ट और दिल्ली से एनिमल हस्बेंडरी डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर डॉ. सुरेंद्र पाल भी आए हैं। भारत सरकार से डिजीज कंट्रोल प्लान के तहत राजस्थान ने पैसा मांगा है। स्वास्थ्य विभाग ने प्लान बनाकर केन्द्र को भेज दिया है। 2-3 दिन में अप्रूव करने का केंद्र ने वादा किया है। इस बीमारी में फिलहाल पशुओं की डेथ रेट 2 से 3 परसेंट है। यह लोगों में नहीं फैलता है। इलाज के लिए पशुओं को एंटीबायोटिक्स के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। सपोर्टिंव ट्रीटमेंट भी दे रहे हैं। बॉर्डर के पास होने के कारण वायरस पाकिस्तान से फैल सकता है। इन आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। कई पशुओं का मूवमेंट रहता है। गाय-भैसों पर बैठने वाले पक्षी और मक्खियां भी बीमारी को बढ़ा रहे हैं।

पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने सभी जिला कलेक्टर्स को दिए मॉनिटरिंग के निर्देश।

 

गौवंश में फैल रही लंपी स्किन डिजीज पर प्रभावी नियंत्रण हेतु नियंत्रण कक्ष स्थापित

नियंत्रण कक्ष नं 01552-226689 और मोबाइल नंबर 7597419087 पर पीड़ित पशुपालक करें संपर्क

हनुमानगढ़ जिले  में गौवंश में फैल रही लंपी स्किन डिजीज को लेकर पशुपालक घबराएं नहीं बल्कि अपने नजदीक के पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ ओमप्रकाश किलानियां ने जिले के पशुपालकों से की है। साथ ही बताया कि वायरस जनित इस रोग के नियंत्रण को लेकर जिला मुख्यालय पर नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। जिसके दूरभाष नंबर 01552-226689 और मोबाइल नंबर 7597419087 हैं।

डॉ किलानिंया ने बताया कि नियंत्रण कक्ष के नोडल अधिकारी वे खुद हैं। जिले के पशुपालक इस रोग से गौवंश के ग्रसित होने पर अपने नजदीक के पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें या नियंत्रण कक्ष नंबर पर संपर्क करें। त्वरित चिकित्सा सुविधा मुहैय्या करवाई जाएगी। डॉ किलानिंया ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज वायरस जनित रोग है और यह चमड़ी को प्रभावित करता है। इस रोग से ग्रसित होने पर पशुओं में तेज बुरबार के साथ शरीर पर गांठें बन जाती है। पशु चरना, पीना छोड़ देता है। दुग्ध का उत्पादन भी कम हो जाता है। आंखों से पानी गिरता है।मुंह व नाक से पानी गिरता है। इस रोग में मृत्युदर 1-2 प्रतिशत है।

डॉ किलानियां ने बताया कि सावधानी बरती जाए तो बिमारी स्वत ठीक हो जाती है। लेकिन प्रांरभिक उपचार बहुत आवश्यक है। जिन पशुओं में ये बिमारी है उन्हें दूसरों पशुओं से अलग रखा जाए। साथ ही बताया कि विभागीय व्यवस्था में पर्ची शुल्क 5/ रू. भी हटा दिया गया है। इसके साथ ही बिमारी पर प्रभावी नियंत्रण व रोक-थाम हेतु जिला स्तर पर एक नियंत्रण कक्ष की स्थापना भी की जा चुकी है।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here