इंदिरा गांधी नहर परियोजना में किसानों की डिमांड के बावजूद अगस्त महीने में मिलने वाले पानी का शेयर नहीं बढ़ा। शुक्रवार को वीसी के जरिए हुई भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति की बैठक में 9050 क्यूसेक पानी देने का निर्णय हुई। राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए जल संसाधन उत्तर हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने पानी बढ़ाने की डिमांड की। बांधों में पानी के जल स्तर की समीक्षा के बाद 1 से 31 अगस्त तक इंदिरा गांधी नहर परियोजना, भाखड़ा प्रणाली सहित सभी नहरों में शेयर जुलाई के समान ही पानी का शेयर आबंटित करने का निर्णय हुआ।
जानकारी के अनुसार अगस्त महीने में आईजीएनपी में 9050 क्यूसेक पानी से प्रथम चरण की नहरों को तीन में से एक ग्रुप में ही चलाया जाएगा। यानी किसानों को लगभग 25 दिनों के अंतराल से ही सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। हालांकि किसान भी आईजीएनपी में 4 में से 2 समूह में पानी चलाने का रेगुलेशन निर्धारित मांग कर रहे थे। बैठक में किसानों की मांग भी अनसुना कर दी गई। बीबीएमबी तकनीकी समिति की बैठक में भाखड़ा प्रणाली 1200 क्यूसेक, नोहर-सिद्धमुख परियोजना में 600 क्यूसेक, खारा में 250 क्यूसेक और गंग कैनाल में 2500 क्यूसेक पानी अगस्त महीने में मिलेगा।
भाखड़ा में 1200, नोहर-सिद्धमुख परियोजना में 600 व गंग कैनाल में 2500 क्यू. पानी
भाखड़ा और पौंग बांध में पानी की आवक बढ़ने के कारण एक ही दिन में 3-3 फीट बढ़ गया। शुक्रवार को भाखड़ा बांध का जल स्तर 1603.45 फीट और पौंग बांध का लेवल 1327.97 फीट पर पहुंच गया। इससे पहले गुरुवार को भाखड़ा बांध का जल स्तर 1601.00 फीट और पौंग बांध का लेवल 1324.56 फीट था। दोनों डैम में पानी की आवक में भी इजाफा हुआ है। गुरुवार को भाखड़ा बांध में पानी की आवक 44 हजार 34 क्यूसेक थी जो एक दिन बाद बढ़कर 51 हजार 693 क्यूसेक हो गई।
इसी तरह पौंग बांध में शुक्रवार को पानी की आवक 69 हजार 172 क्यूसेक हो गई, जबकि एक दिन पहले 26 हजार 111 क्यूसेक पानी की ही आवक हो रही थी। हालांकि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गत वर्ष एक ही दिन में बांधों में दो लाख क्यूसेक से अधिक आवक हुई थी, जबकि इस बार अधिकतम 69 हजार क्यूसेक ही पहुंची है।
अगस्त में आईजीएनपी को 1 बारी ही मिलेगा पानी
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की बैठक में डिमांड के बावजूद पानी नहीं बढ़ने से इंदिरा गांधी नहर परियोजना के किसानों को अगस्त महीने में मात्र एक पानी की बारी ही मिलेगी। तीन में से एक ग्रुप की नहरें चलने से काश्तकारों को 25 दिन के अंतराल से सिंचाई पानी मिल पाएगा। किसानों के अनुसार अगस्त में नरमा की फसल में ज्यादा सिंचाई पानी की जरूरत होती है। अगर बरसात नहीं हुई तो फसलों को नुकसान होगा। जुलाई में भी तीन में से एक ग्रुप में नहरें चलाकर सिंचाई पानी दिया गया था। अगस्त में भी यही रेगुलेशन लागू रहेगा।
भाखड़ा और पौंग बांध के कैचमेंट एरिया में बरसात कम होने से दोनों बांधों का औसत जल स्तर पिछले सालों की तुलना में कम है। राजस्थान का एवरेज शेयर 11 हजार 400 क्यूसेक बन रहा था। बैठक में सभी परियोजना के लिए 12 हजार क्यूसेक पानी निर्धारित हुआ है। -अमरजीत सिंह मेहरड़ा, चीफ इंजीनियर, जल संसाधन उत्तर, हनुमानगढ़
इधर, घग्घर में कम हुई पानी की आवक, नाली बैड में 1500 क्यूसेक चल रहा
घग्घर नदी में पिछले कई दिनों से लगातार पानी की आवक कम हो रही है। शुक्रवार को घग्घर साइफन में पानी की घटकर मात्र 900 क्यूसेक रह गई। नाली बैड में भी 1500 क्यूसेक प्रवाहित हो रहा है। गुरुवार को घग्घर साइफन पर 1750 क्यूसेक और नाली बैड में 1850 क्यूसेक पानी चल रहा था। हालांकि जीडीसी एस्केप से भी 850 क्यूसेक पानी नाली बैड में चलाया जा रहा है। जल संसाधन खंड द्वितीय के एक्सईएन सहीराम यादव ने बताया कि शुक्रवार को गुल्लाचिका से 1540 क्यूसेक, खनौरी 550, चांदपुर 1300 क्यूसेक और ओटू हैड से 1050 क्यूसेक पानी की आवक हो रही है। नाली बैड में पानी प्रवाहित होने से धान की फसलों को अच्छा फायदा हुआ है। किसान धान की फसल में घग्घर के पानी से सिंचाई कर रहे हैं।