प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले में खरीफ सीजन की 8 फसलें अधिसूचित की गई है। अधिसूचित फसलों का बीमा करवाने पर ही किसान क्लेम के लिए पात्र होंगे। अगर खेत में ग्वार की बिजाई की है और बीमा नरमा की फसल का करवा दिया तो खराबा होने पर किसान को क्लेम नहीं मिल पाएगा। इसलिए कृषि विभाग की ओर से जिले में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इस बार बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, कपास, धान, तिल व मूंगफली की फसलें बीमा योजना में अधिसूचित की गई है। इसके अलावा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना किन्नू फसल में भी लागू की गई है।
फसल बीमा योजना के तहत ऋणी किसानों को फसल बीमा से बाहर होने की अंतिम तिथि 24 जुलाई तय की गई है। ऋणी कृषकों बीमित फसल में 29 जुलाई तक परिवर्तन की सूचना संबंधित बैंक में दे सकेंगे। निर्धारित अवधि में सूचना नहीं देने की स्थिति में फसलों का परिवर्तन नहीं हो पाएगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार जिले के ऋणी एवं गैर ऋणी कृषकों के लिए अपनी फसल का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। जागरूकता अभियान के तहत किसानों से जो भी फसल खेत बोएं उसी का प्रीमियम जमा करवाने की अपील की जा रही है। इसके साथ किन्नू की बागवानी करने वाले किसानों से भी बीमा करवाने की अपील की जा रही है।
कपास का 412.45 और बाजरा का 85.75 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम तय
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ सीजन के लिए जिले में कुल 8 फसलें अधिसूचित किया गया है। सभी फसलों की प्रीमियम राशि अलग-अलग तय की गई है। सर्वाधिक 412.45 रुपए प्रति बीघा कपास और सबसे कम 85.75 रुपए प्रति बीघा निर्धारित है। इसके अलावा मूंग का 192.95 रुपए. प्रति बीघा, बाजरा का 85.75 रुपए, मोठ का 101.18 रुपए, ग्वार का 108.38 रुपए, कपास का 412.45 रुपए, धान 355.97 रुपए, तिल का 108.77 रुपए, मूंगफली का 525.13 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम तय किया गया है। किन्नू 1012.5 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम निर्धारित है। किन्नू का बीमा साल में एक ही ही करवाना होगा। किसानों को खेत में बिजाई के अनुसार ही संबंधित फसल की प्रीमियम राशि जमा करवानी होगी।
ये दस्तावेज जरूरी: नवीन जमाबंदी की नकल व आधार कार्ड, जरूरी, शपथ पत्र भी देना होगा
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले के गैर ऋणी कृषकों को राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार आधार कार्ड, नवीनतम जमाबंदी की नकल व बैंक खाते की पासबुक की प्रति जिसमें आईएफसी कोड एवं खाता संख्या अंकित हो या खाते की कैंसिल चैक की प्रति व बटाईदार कृषक होने पर उक्त दस्तावेज के अलावा शपथ पत्र, बीमा कराने वाले कृषक के स्वयं का घोषणा पत्र, बटाईदार एवं भू-स्वामी के आधार कार्ड की स्वयं प्रमाणित प्रति अनिवार्य है। विभाग की ओर से किसानों से आधार कार्ड बैंक खाते में अपडेट करवाने की अपील की गई है। किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा बैंकों के अलावा ग्राम सेवा सहकारी समिति व ईमित्र के माध्यम से भी करवा सकेंगे।
जो फसल बोई, उसी का जमा करवाएं प्रीमियम, 29 तक होगा परिवर्तन
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 31 जुलाई तक किसान फसलों का बीमा करवा सकेंगे। खेत में जिस फसल की बिजाई की है किसानों को उसी का प्रीमियम जमा करवाना चाहिए। गलती से दूसरी फसल का प्रीमियम कट गया है तो काश्तकार 29 जुलाई तक संबंधित बैंक शाखा में परिवर्तन करवा सकते हैं।
-दानाराम गोदारा, उपनिदेशक कृषि (विस्तार)
इधर, खेतों में दिखी गुलाबी सुंडी, कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताए नियंत्रण के उपाय
किसानों को गुलाबी सुंडी के प्रकोप एवं नियंत्रण के बारे में बताया गया। राशि सीड्स के प्रतिनिधि एनके पूनियां ने बताया कि कुछ क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) बीआर बाकोलिया ने बताया कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप होने पर विभाग द्वारा सिफारिश किए गए कीटनाशकों के प्रयोग करने एवं नियमित भ्रमण कर किसानों को तकनीकी सलाह देने के लिए फील्ड स्टाफ को पाबंद किया गया है। उपनिदेशक कृषि (विस्तार) दानाराम गोदारा ने बताया कि जिन किसानों के खेतों में बीटी नरमा की लकड़ियां भंडारित की गई है वे विशेष ध्यान दें।
फसल की शुरूआती अवस्था में गुलाबी सुंडी से प्रभावित होकर नीचे गिरे रोजेटी फूल, फूल-गुड्डी एवं टिंडों को एकत्रित कर नष्ट करें। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी व नियंत्रण के लिए आर्थिक हानि स्तर की पहचान के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बिजाई के 40 से 50 दिन के पश्चात 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएं। कृषि उपनिदेशक गोदारा ने कृषि आदान विक्रेताओं व कंपनी प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि विभाग द्वारा सिफारिश किए गए नीम कीटनाशी सहित उच्च गुणवत्ता के कीटनाशक कृषकों को उपलब्ध करवाएं ताकि गुलाबी सुंडी का प्रभावी नियंत्रण हो सके।
इस मौके पर कृषि आदान विक्रेता के जिलाध्यक्ष बालकृष्ण गोल्याण, उपनिदेशक कृषि (शष्य) मिलिंद सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र संगरिया के वैज्ञानिक चंद्रशेखर, कृषि अधिकारी बलकरण सिंह, साहबराम गोदारा, ऋचा, स्वर्ण सिंह अराई, सुभाषचंद्र सर्वा, कृषि पर्यवेक्षक जगदीश दूधवाल मौजूद रहे।