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Wednesday, March 29, 2023

राजस्थान आर्किटेक्चर फेस्टिवल का हुआ समापन: जयपुर के लाइम और स्टोन विश्व प्रसिद्ध,250 से अधिक डेलीगेट्स जगह-जगह वॉक की

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Hindi NewsLocalRajasthanJaipurJaipur’s Lime And Stone Is World Famous, Jaipur’s Heritage Is A Fan Of The World, No Need For Glass Buildings And Foreign Patterns Here

जयपुरएक घंटा पहले

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स-राजस्थान चैप्टर द्वारा आयोजित राजस्थान आर्किटेक्चर फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरूआत हेरिटेज वॉक से की गई। जिसमें 250 से अधिक डेलीगेट्स और मेहमानों ने चरण मंदिर से वॉटर चैनल और बावड़ी से नाहरगढ़ फोर्ट तक वॉक की। फेस्टिवल के तीसरे दिन ‘हेरिटेज अंडर थ्रेट’सब्जेक्ट पर देश के जाने-माने आर्किटेक्ट्स ने अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें हेरिटेज सिनर्जी इंडिया की कमालिका बोस, आर्किटेक्चरल हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन, के.टी. रवींद्रन; एआरसीएशिया के प्रेसीडेंट, डॉ अबू सईद एम अहमद; आर्किटेक्ट-अर्बेनिस्ट-कंजर्वेशनिस्ट, कुलभूषण जैन और रविंद्र गुंडू राव एंड एसोसिएट्स के रविंद्र गुंडू राव जैसे आर्किटेक्ट्स एक्सपर्ट्स शामिल हुए।

जयपुर को और सस्टेनेबल बनाना है ताे सेटेलाइट टाउनशिप बनाने हाेंगे। शहर काफी बड़ा है। पेट्रोल और डीजल की मदद से ही दूरी कम हो सकती है। ऐसे में शहर की हर दिशा में 8 से 10 सेटेलाइट टाउनशिप मददगार साबित होगी। इससे एनर्जी का बचाव होगा और कुछ सालों में मौसम में भी बदलाव नजर आने लगेगा। इसी मकसद से सिंगापुर में एनर्जी बचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन काफी अच्छा किया गया। इसका नतीजा यह है कि वहां तापमान नियंत्रण में रहता है। यह कहना था सस्टनेबिलिटी सिंगापोर इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स के चेयरमैन टैन ज़िहान का। वे जयपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स-राजस्थान चैप्टर की ओर से आयोजित ‘राजस्थान आर्किटेक्चर फेस्टिवल’ में शामिल हुए। फेस्टिवल का रविवार को आखिरी दिन था।

आर्किटेक्ट रिता सोह ने कहा जयपुर के पास लाइम व स्टोन है। यहां ग्लास का इस्तेमाल क्यों होना चाहिए। हमने कई बिल्डिंग्स देखीं जो विदेशी पैटर्न पर बनाई गई हैं। असल में जयपुर को इसकी जरूरत नहीं है। यहां के महलों की दुनियाभर में चर्चा होती है, पूरी दुनिया के आर्किटेक्ट्स वैसी इमारतें बनाने का सपना देखते हैं। आपको वही कायम रखना चाहिए। आर्किटेक्ट, अर्बनिस्ट और कंजर्वेशनिस्ट कुलभूषण जैन ने कहा कि जयपुर में बेतरतीब निर्माण और पुरानी इमारतों पर साइन बोर्ड देखे जा सकते हैं। यहां की वॉलसिटी को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी घोषित होने के बावजूद इसके संरक्षण को लेकर बहुत उदासीनता है, सरकार को ऐसे हेरिटेज क्षेत्रों को चिह्नित करके उनके रख-रखाव पर काम करना चाहिए।

पूरी दुनिया के आर्किटेक्ट्स जयपुर की इमारतों जैसा बिलिंग्स बनाने का सपना देखती है

पूरी दुनिया के आर्किटेक्ट्स जयपुर की इमारतों जैसा बिलिंग्स बनाने का सपना देखती है

टेक्निकल सेशन ‘एडिंग ग्रीन टू द सैंड’ विषय में अनु मृदुल ने जोधपुर शहर में विभिन्न जल निकायों के विकास पर चर्चा की। जिनमें कृत्रिम व मानव निर्मित दोनों की ही महत्ता को शहर की उन्नति के लिए बराबर बताया। उन्होंने जोधपुर में विभिन्न जल निकायों की बहाली पर आधारित अपनी केस स्टडीज के ज़रिए बताया की जल निकाय की पुरानी प्रणाली को इस्तेमाल कर उन्होंने आधुनिक समाज को फायदा कैसे पहुँचाया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे सांस्कृतिक दृष्टिकोण से जल निकायों को संरक्षित करने में मदद मिलती है और जल निकायों को बचाये रखने में प्राचीन संस्कृति की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

फेस्टिवल के दौरान ‘माई हेरिटेज-माई प्राइड’ आर्किटेक्चर एक्जीबिशन लगाई गई थी, जिसमें राजस्थान के 5 क्षेत्रों मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी, ढु़ढ़ाड़ और हाड़ौती की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित किया गया। फेस्टिवल के अंत में ‘हाथीगांव: हाथियों और महावतों के लिए एक समझौता’ बुक का लॉन्च किया गया। आर्किटेक्ट संजीव विद्यार्थी, आर्किटेक्ट मेघा भटनागर, आर्किटेक्ट गौरव भटनागर और आर्किटेक्ट राजन भट्ट द्वारा लिखित यह मोनोग्राफ हाथीगांव के गर्भाधान, योजना और निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाता है और भारतीय शहर जयपुर में काम करने वाले हाथियों और उनकी देखभाल करने वाले परिवारों की एक कहानी है। साथ ही, ‘मेटामॉरफोसिस इन आर्किटेक्चर’ थीम पर आर्ट इंस्टालेशन कम्पीटीशन के विजेताओं को पुरुस्कृत किया गया। जिसकी जूरी में जियाल इस्लाम, अरमांडो यूजीने और मधुप मज़ूमदार शामिल थे।

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